तू है दुर्गा, तू ही है काली., तू ही तो है, सारी दुनिया को संभालने वाली..! कोई तुझे चन्डी पुकारे., तो कोई माँ शेरावाली..! तू है ममता की मूरत भोली भाली..! यहाँ सब है तैयार तुझे पूजने को.., पर न मानता कोई तुझे नारी..। जो उतारते हैं, दिनरात तेरी आरती.., दस दिन बाद वही निकालेंगे.., तुझपे अपनी हवस सारी..।। बन जाएंगे फ़िर सब महिषासुर, भूल जाएंगे सब कि तु ही है दुर्गा.., तु ही है काली और तु है एक नारी..।। तू है दुर्गा, तू ही है काली., तू ही तो है, सारी दुनिया को संभालने वाली..! कोई तुझे चन्डी पुकारे., तो कोई माँ शेरावाली..! तू है ममता की मूरत भोली भाली..! यहाँ सब है तैयार तुझे पूजने को.., पर न मानता कोई तुझे नारी..।