*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️*“15/5/2022”*📚 📘*“रविवार”*💫 “मनुष्य” अपनी “संतान” को अपने से ही “बांध” के रखता है सदैव उसके “लालन-पालन” का प्रबंध करके रखता है, और ये सोचता है कि मैं तो इसका “पालक” हूं,इसका ध्यान रखना तो मेरा “कर्तव्य” है पर नहीं... यहीं “कार्य” करते करते वो धीरे-धीरे अपनी ही “संतान” का “शत्रु” बन जाता है, उसके “विकास” का “शत्रु” बन जाता है, इसलिए जब “संतान” बड़ी हो तो “प्रेम” अवश्य रखिए किन्तु “पक्षी” की भांति “कठोर” भी होना होगा, तभी उनका “विकास” होगा उन्हें अपनी “पीड़ा” स्वयं सहने दिजिए और “सीखने” दिजिए “जीवन” के “अनुभव” क्या होते है तभी उनका “विकास” होगा अन्यथा वो “संतान” आप पर “जीवनभर” “भोझ” बनकर रहेगी,और आप उसके विकास पर जीवनभर “बाधा” बनकर रहेंगे और मुझे नहीं लगता कि आप ये चाहते होंगे... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“15/5/2022”*📚 📘 *“रविवार”*💫 #“मनुष्य” #“संतान”