सदियों से जो इन्तजार था मेरे कलुषित से मन को। एक प्रश्न ने पूर्ण किया उस कलुषित मन के उपवन को।। कितने जन्मों का सवाल वो तुमने था जो मुझसे किया। सहम गया था मैं दो पल को