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मैं प्रेम में विभोर सिंधु वो अडिग पाषाण सा, वो स्त

मैं प्रेम में विभोर सिंधु वो अडिग पाषाण सा,
वो स्तंभित खड़ा सोच जल डिगा नहीं सकता,
मैं उस विचार पर निशान छोड़ जाऊंगा,
अपने रस में सराबोर कर चला जाऊँगा,
न तोड़ने का हठ है न आहत करने का,
वो मद में रहें मस्त और मैं बस उन्हें चाहूंगा...✍🏻 #राघवरूपम
मैं प्रेम में विभोर सिंधु वो अडिग पाषाण सा,
वो स्तंभित खड़ा सोच जल डिगा नहीं सकता,
मैं उस विचार पर निशान छोड़ जाऊंगा,
अपने रस में सराबोर कर चला जाऊँगा,
न तोड़ने का हठ है न आहत करने का,
वो मद में रहें मस्त और मैं बस उन्हें चाहूंगा...✍🏻 #राघवरूपम
raavanmitr5079

Raavan Mitr

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