'नज़्म' दिल के थे अच्छे सनम निष्ठुर हो गये फरिश्तों सा मिले फिर दूर हो गये किया जो इश्क़ समंदर सा सब के सब क़सूर हो गये जख्म जो तुम्हें दिखता नही अब वो भी नासूर हो गये कब यादों ने दस्तक दिये कब जुल्फों के रंग खिले कितनों का कत्ल हुआ कितने कातिल बेकसूर हो गये #NojotoQuote 'नज़्म' दिल के थे अच्छे सनम निष्ठुर हो गये फरिश्तों सा मिले फिर दूर हो गये