कुछ यादें धुंधली सी और वो गुजरा जमाना याद आता है, वो तेरे मासूम से चेहरे का यूँ मुस्कुराना याद आता है ।। याद आती है तेरी पाजेब की छनछनाहट, वो मेंहदी वाले हाथों से पलकें छिपाना याद आता है।। याद आता है कनखियो से मुझको, छिप के देखना तेरा, वो मेरा तेरी गली मे रोज ,दो मर्तबा आना बाद आता है ।। कुछ चंद सवालात आज भी बाकी हैं जेहन में मेरे, वो तेरा बिन कुछ बताये चले जाना याद आता है ।। यादों का पिटारा