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"विश्व रंगमंच और हिंदी रंगमंच" *******************

"विश्व रंगमंच और हिंदी रंगमंच"
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मनोरंजन के दृष्टिकोण से विश्व रंगमंच दिवस अपना खास स्थान रखता है। हर साल 27 मार्च के दिन विश्व रंगमंच दिवस का आयोजन किया जाता है। पूरे विश्व में रंगमंच को अपनी अलग पहचान दिलाने के लिए साल 1961 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान ने इस दिन की नींव रखी थी।इस दिन दुनिया के कई देशों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रंगमंच या थियेटर से जुड़े हुए कलाकार कई समारोह का आयोजन करते हैं।
सिनेमा जगत के मनोरंजन के क्षेत्र में आधिपत्य जमाने से पहले रंगमंच या थियेटर ही लोगों के लिए एकमात्र मनोरंजन का साधन था। वहीं सिनेमा के साथ ही थियेटर के प्रति लोगों में जागरुकता और रूची पैदा करने के लिए हर साल विश्व रंगमंच दिवस का आयोजन किया जाता है।

भारत में संस्कृत रंगमंच के पृष्ठभूमि में चले जाने के बाद भी लोक रंगमंचों की परंपरा अत्यंत सुदृढ़ रही। नौटंकी , रासलीला ,रामलीला , स्वांग , नकल , खयाल , यात्रा , यक्षगान , नाचा , तमाशा आदि लोकप्रिय लोक – नाट्य रूप रहे हैं। इसी प्रकार पारसी रंगमंच की भी हिंदी रंगमंच के विकास में ऐतिहासिक भूमिका है।

विश्व रंगमंच दिवस का उद्देश्य
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"विश्व रंगमंच और हिंदी रंगमंच"
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मनोरंजन के दृष्टिकोण से विश्व रंगमंच दिवस अपना खास स्थान रखता है। हर साल 27 मार्च के दिन विश्व रंगमंच दिवस का आयोजन किया जाता है। पूरे विश्व में रंगमंच को अपनी अलग पहचान दिलाने के लिए साल 1961 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान ने इस दिन की नींव रखी थी।इस दिन दुनिया के कई देशों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रंगमंच या थियेटर से जुड़े हुए कलाकार कई समारोह का आयोजन करते हैं।
सिनेमा जगत के मनोरंजन के क्षेत्र में आधिपत्य जमाने से पहले रंगमंच या थियेटर ही लोगों के लिए एकमात्र मनोरंजन का साधन था। वहीं सिनेमा के साथ ही थियेटर के प्रति लोगों में जागरुकता और रूची पैदा करने के लिए हर साल विश्व रंगमंच दिवस का आयोजन किया जाता है।

भारत में संस्कृत रंगमंच के पृष्ठभूमि में चले जाने के बाद भी लोक रंगमंचों की परंपरा अत्यंत सुदृढ़ रही। नौटंकी , रासलीला ,रामलीला , स्वांग , नकल , खयाल , यात्रा , यक्षगान , नाचा , तमाशा आदि लोकप्रिय लोक – नाट्य रूप रहे हैं। इसी प्रकार पारसी रंगमंच की भी हिंदी रंगमंच के विकास में ऐतिहासिक भूमिका है।

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