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“क़ाफ़िला कहाँ तक जाएगा” कहते हैं इस बार भी पतझड़

“क़ाफ़िला कहाँ तक जाएगा”
कहते हैं इस बार भी पतझड़ आएगा, 
मैं भी तैयार हूँ जो होगा देखा जाएगा ।
साथ चलने वालों पर क्या करें ग़रूर,
देखते हैं क़ाफ़िला कहाँ तक जाएगा ॥

आँखों के नूर कहीं धूल न बन जाएँ,
तूफ़ान में बहती कश्ती न निगल जाएँ ।
हवाओं पर इतना एतबार अच्छा नहीं,
पतवार कहीं यूँ  बेवजह छूट न जाए ॥

गुलशन को फूलों की ज़रूरत होती है,
फूलों से ख़ुशबू कहाँ जुदा होती है।
ख़ुशबू से महकता है जहाँ सारा,
हर क्यारी की अपनी रजा होती है॥

शब्दों के तीर संयम तोड़ देते हैं,
 बेबुनियाद राहें छोड़ देते  हैं।
ख़फ़ा होते हैं पल -पल जो
किसी भी पल साथ छोड़ देते हैं॥

Deepti Chandar

©ThePoetsLounge Foundation Qafila by Deepti Chandar
#safarnama #nojatohindi #nojopoetry #qafila
“क़ाफ़िला कहाँ तक जाएगा”
कहते हैं इस बार भी पतझड़ आएगा, 
मैं भी तैयार हूँ जो होगा देखा जाएगा ।
साथ चलने वालों पर क्या करें ग़रूर,
देखते हैं क़ाफ़िला कहाँ तक जाएगा ॥

आँखों के नूर कहीं धूल न बन जाएँ,
तूफ़ान में बहती कश्ती न निगल जाएँ ।
हवाओं पर इतना एतबार अच्छा नहीं,
पतवार कहीं यूँ  बेवजह छूट न जाए ॥

गुलशन को फूलों की ज़रूरत होती है,
फूलों से ख़ुशबू कहाँ जुदा होती है।
ख़ुशबू से महकता है जहाँ सारा,
हर क्यारी की अपनी रजा होती है॥

शब्दों के तीर संयम तोड़ देते हैं,
 बेबुनियाद राहें छोड़ देते  हैं।
ख़फ़ा होते हैं पल -पल जो
किसी भी पल साथ छोड़ देते हैं॥

Deepti Chandar

©ThePoetsLounge Foundation Qafila by Deepti Chandar
#safarnama #nojatohindi #nojopoetry #qafila