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जब रात थी अमावस और चाँदनी सही थी, चंदा को चाँदनी


जब रात थी अमावस और चाँदनी सही थी,
चंदा को चाँदनी से शिकवा तो पर नहीं थी;
जो चूक जाए अवसर कायर यहाँ वही है,
मौका नया मिला है- दिनकर नया खिला है;
खुले नए इस आसमाँ पर, हाय! ना ताला लगाओ|
 मेरी आँखों पानी मत बरसाओ || #ALFAAZ #nojoto

मेरी आँखों पानी मत बरसाओ

कल रात थी अंधेरी, तारक किरण नहीं थी 
ठंडी हवा के रुख़ में , जलती हवा बही थी
शायद था सुख उसी में, मैंने उसे चुना था
कुछ यौं खुशी मिली थी पाया ज्यों रहनुमा था

जब रात थी अमावस और चाँदनी सही थी,
चंदा को चाँदनी से शिकवा तो पर नहीं थी;
जो चूक जाए अवसर कायर यहाँ वही है,
मौका नया मिला है- दिनकर नया खिला है;
खुले नए इस आसमाँ पर, हाय! ना ताला लगाओ|
 मेरी आँखों पानी मत बरसाओ || #ALFAAZ #nojoto

मेरी आँखों पानी मत बरसाओ

कल रात थी अंधेरी, तारक किरण नहीं थी 
ठंडी हवा के रुख़ में , जलती हवा बही थी
शायद था सुख उसी में, मैंने उसे चुना था
कुछ यौं खुशी मिली थी पाया ज्यों रहनुमा था