एक गुनाह यार मैं ऐसा कर बैठा उसे देखा तो सब-कुछ भुला बैठा न-जाने कैसा तिलिस्म हैं निगाहों में न-चाहते हुए भी मैं "दिल" लगा बैठा वो "ताबीर" में यूँ रहता हैं अब मिरे लफ्ज़ो का मुसाफिर ख़ुद को बना बैठा ये राह मुश्किल होगी यूँ पता-न था होश आया तो मंजिल का पता भुला बैठा — кυмαя✍️ ©The Unstoppable thoughts #nojotowriters #nojotourdu #nojotohindi #nojotogazal #Nojoto #nojoto❤