जिसे सूरज की तपन ना तपा सका जिसे देख आसमां द्रवित हो पड़ा जिसके सामने पर्वत भी चकनाचूर हुआ उसे इंसानियत की मैय्यत ने मारा हरा खेत करने वाला आज खुद हारा जिसने धरती को रंगबिरंगा किया वहीं उसकी पगड़ी को गया उछाला कहीं धरती आग उगलने लगे ना उसी पर उसी की लाठी को गया बरसाया हरा खेत करने वाला आज खुद हारा सजा थाल अन्न खा पाया ना दुनिया कहती जिसे अन्नदाता हाथ पर सर को टीका पैर मुड़ कर बैठा बिना खाट कभी दो पल आराम न पाया रीढ़ की हड्डी पर उसकी अब प्रहार किया जा रहा हरा खेत करने वाला आज खुद हारा ----------- @रानी यादव-------- --------++रेणुकूट ,सोनभद्र++----------- ©Rani Yadav #farmersprotest_poetryunpulgged