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मै थी ..तुम थे बारिश थी और भीगे भीगे गाने भी थे.

मै थी ..तुम थे 
बारिश थी और 
भीगे भीगे गाने भी थे..
थोडे थोडे किस्से थे और हलकेसे ताने भी थे..
बस..
तुम थोडे चुपचाप से  थे..

एक ही प्याली चाय भी  थी
घुंट  घुंट की बात भी थी 
हवा हमारे साथ भी थी
सामने था सब धुंदला धुंदला
बस..
तुम थोडे चुपचाप से थे..

बादल हाथोंंमें ले ले कर 
खिडकी ने भी देखा था 
हरेभरे पेडोंंने झुककर 
पलभर ये ही सोचा था 
हलकी हलकी आहेेंं थी 
बस..
तुम थोडे चुपचाप से  थे

हाथोंं मे थे हात जरासे 
बातोंं मे थी बात जरा 
भिगी भिगी दोपहरी मे 
नरमी भी थी साथ जरा 
हसते हसते आँँख भर आई 
बस.. 
तुम थोडे चुपचाप से  थे 

शोर भी था और खामोशी भी 
गुड भी था और मिरची भी 
ख्वाब भी थे और सच्चाई भी 
बस..
तुम थोडे चुपचाप से थे 

सडकोंंपर थी भीड बेवजह 
खाली कोई गली ना थी 
आँँखे टकराई चुपकेसे
लेकिन खुलके मिली ना थी 
ये भी था और वो भी था 
बस..
तुम थोडे चुपचाप से थे 

तुमको देखू या बारिश को 
या मै भी चूप हो जाऊ?
आन्खोसे तारीफे सुनके  
थोडासा मै इतराऊँँ?
उलझन मे थी फसी हुई 
बस..
तुम थोडे चुपचाप से थे 

तुम तो बात नाही छेडोगे 
जान गयी हूँँ इतना मै
दिलको अपने ऐसे तैसे
समझाऊँँगी कितना मैं
खामोशी को सुन लुँँगी
और आँँखोसे पढ लुँँगी
कभी कभी बस...
तुमको छेडूंंगी
क्यूँँ इतने चुपचाप से थे ....
मै थी ..तुम थे 
बारिश थी और 
भीगे भीगे गाने भी थे..
थोडे थोडे किस्से थे और हलकेसे ताने भी थे..
बस..
तुम थोडे चुपचाप से  थे..

एक ही प्याली चाय भी  थी
घुंट  घुंट की बात भी थी 
हवा हमारे साथ भी थी
सामने था सब धुंदला धुंदला
बस..
तुम थोडे चुपचाप से थे..

बादल हाथोंंमें ले ले कर 
खिडकी ने भी देखा था 
हरेभरे पेडोंंने झुककर 
पलभर ये ही सोचा था 
हलकी हलकी आहेेंं थी 
बस..
तुम थोडे चुपचाप से  थे

हाथोंं मे थे हात जरासे 
बातोंं मे थी बात जरा 
भिगी भिगी दोपहरी मे 
नरमी भी थी साथ जरा 
हसते हसते आँँख भर आई 
बस.. 
तुम थोडे चुपचाप से  थे 

शोर भी था और खामोशी भी 
गुड भी था और मिरची भी 
ख्वाब भी थे और सच्चाई भी 
बस..
तुम थोडे चुपचाप से थे 

सडकोंंपर थी भीड बेवजह 
खाली कोई गली ना थी 
आँँखे टकराई चुपकेसे
लेकिन खुलके मिली ना थी 
ये भी था और वो भी था 
बस..
तुम थोडे चुपचाप से थे 

तुमको देखू या बारिश को 
या मै भी चूप हो जाऊ?
आन्खोसे तारीफे सुनके  
थोडासा मै इतराऊँँ?
उलझन मे थी फसी हुई 
बस..
तुम थोडे चुपचाप से थे 

तुम तो बात नाही छेडोगे 
जान गयी हूँँ इतना मै
दिलको अपने ऐसे तैसे
समझाऊँँगी कितना मैं
खामोशी को सुन लुँँगी
और आँँखोसे पढ लुँँगी
कभी कभी बस...
तुमको छेडूंंगी
क्यूँँ इतने चुपचाप से थे ....