आगे भढता चला आया हु असफलताओ को पीछे रख के, नई उम्मीदे साथ लेके आया हु। नाराजगी को पीछे रख के, कई सारी खुशियाँ साथ लेके आया हु। शत्रु को पीछे रख के, कई सारे मित्र साथ लेके आया हु। यादो को पीछे रख के, सीखी हुई बातें साथ लेके आया हु। पीछे देखने का सोख नही हमे, आगे ही आगे भढता चला आया हु।