"किसान" जमीन का सीना चीर के पूरे विश्व का पेट भरने वाला कहने को तो ये 3 अक्षरों का शब्द है लेकिन इन शब्द की महानता समझ पाना बहुत कठिन मैं भी किसान हूँ मुझे पता है। क्या क्या झेलता है किसान न तो वो सर्दी देखता है न गर्मी न बरसात दिन रात मेहनत करता है। बस किसके लिए ताकि दुनिया भूखी उठे लेकिन भूखी सोए न आज जब उस किसान के हितों पर आन पड़ी तो सभी चुप बैठे हैं। कोई कहता मुझे क्या मेरे पास तो खेत ही नही कोई कहता। मैं तो शहरी हूँ मुझे क्या लेना देना। बस जब ये लोग ये कहना बंद कर देंगे। उस दिन किसान को जवान के समान सम्मान मिलने लगेगा। अगर जिंदा रहने के लिए जवान जरूरी है। तो जिंदा रखने के लिए किसान भी उससे कम नही। लेकिन चाहे जितना लिख पढ़ लिया जाय किसान के लिए लोग उसे हमेशा हीन भावना से ही देखते हैं। सोचो अगर अनाज न हुआ तो क्या खाओगे भक्त तो गोबर खा लेंगे उनकी दिक्कत नही लेकिन जो वास्तव में इंसान है वो क्या खायेंगे। जितना हो सके किसान के लिए लिखो जितना हो सके उसके लिए आवाज उठाओ। ©Maickal Amit किसान आन्दोलन #bharatband