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सच को देखने के लिए आंखे खुली होनी चाहिए, बंद आंखों

सच को देखने के लिए आंखे खुली होनी चाहिए,
बंद आंखों से महज़ अंधेरा ही नज़र आता है। यह बात उनके लिए है जो शाहीन बाग़ का बिना उनके इरादे को समझे खुलकर समर्थन कर रहे है। 

ऐसा क्या व्यवस्था है कि वहां लोग 2 महीने से ज्यादा बैठे हुए है। कौन है जो इन्हे जो इन्हे रोज खाना पानी की भरपूर व्यवस्था बनाए रखे है। यह तो ऐसा लग रहा है कि वो वहां पिकनिक मना रहे है। यह उस कानून का विरोध कर रहे है जो इनके लिए है ही नहीं और जिसका खाका तैयार हुआ ही नहीं है बस नाम ही बोला गया है। 

और मीडिया जो सच दिखाती है उनका सामना यह लोग कर नहीं रहे और जो पूरी तरह से वामपंथियों की विचारधारा का समर्थन करती है उन्हे सर आंखों चड़ा कर बैठे है।

रवीश जैसे वामपंथी पत्रकार जो सिर्फ आधा सच ही दिखाते है जैसे 
अब ब्रिटेन में 150 सांसदों ने सीएए का विरोध किया लेकिन कभी यह नहीं बताया की 650 सांसदों ने समर्थन भी किया है और
सच को देखने के लिए आंखे खुली होनी चाहिए,
बंद आंखों से महज़ अंधेरा ही नज़र आता है। यह बात उनके लिए है जो शाहीन बाग़ का बिना उनके इरादे को समझे खुलकर समर्थन कर रहे है। 

ऐसा क्या व्यवस्था है कि वहां लोग 2 महीने से ज्यादा बैठे हुए है। कौन है जो इन्हे जो इन्हे रोज खाना पानी की भरपूर व्यवस्था बनाए रखे है। यह तो ऐसा लग रहा है कि वो वहां पिकनिक मना रहे है। यह उस कानून का विरोध कर रहे है जो इनके लिए है ही नहीं और जिसका खाका तैयार हुआ ही नहीं है बस नाम ही बोला गया है। 

और मीडिया जो सच दिखाती है उनका सामना यह लोग कर नहीं रहे और जो पूरी तरह से वामपंथियों की विचारधारा का समर्थन करती है उन्हे सर आंखों चड़ा कर बैठे है।

रवीश जैसे वामपंथी पत्रकार जो सिर्फ आधा सच ही दिखाते है जैसे 
अब ब्रिटेन में 150 सांसदों ने सीएए का विरोध किया लेकिन कभी यह नहीं बताया की 650 सांसदों ने समर्थन भी किया है और