कितना अच्छा होता अगर मैं कितना अच्छा होता अगर मैं सागर की लहरें होती कभी उठती सागर में तो कभी शांत होती कभी उथल पुथल करती सागर में तो सागर को भी बेचैन कर देती कभी टकराती साहिल से तो वापिस सागर में खो जाती कभी ऊंची उछाल लगाती सागर में तो कभी सागर में गुम हो जाती कभी पूछती सागर से की तू इतना गहरा क्यूँ है नदियाँ तो आकर मीठे पानी की मिलती है तुझमे पर ऐ सागर तू इतना खारा क्यूँ है कभी नापती सागर की थाह तो कभी साहिल पर लौट आती कितना अच्छा होता कि मैं सागर की लहर बन जाती निकलते सूरज की रश्मियों से मैं रेत के कणों संग चमचमाती ढलता सूरज तो मैं भी सागर में सो जाती ©Dr Manju Juneja #कितनाअच्छाहोता #लहर #सागर #साहिल #टकराती #कभी #उठती #poetery #nojotohindi #AdhureVakya