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कली खिलती हैं, फूल बनती हैं, मुरझाती हैं, गिर जात

कली खिलती हैं, फूल बनती हैं, 
मुरझाती हैं, गिर जाती है पर, 
वृक्ष कभी निरास नहीं होता क्योकि
उसमें अभी हजारों फूलों की आस बाकी हैं। 
कभी हताश, निराश,परेशां न हो, 
परिस्थितिया कैसी भी क्यो न हो, 
डूबते मांझी की पतवार, 
अभी बाकी हैं।।

©Pramod Singh Pal
  💥अभी बाकी हैं 🌖

💥अभी बाकी हैं 🌖 #जानकारी

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