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ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर, आ जाए गर मुकाम त

ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर,
 आ जाए गर मुकाम तेरा फिर भी न आराम कर !

चलता ही रह तूफानों की तरह, इस जग के लिए तो कोई अच्छा काम कर, 
आ भी जाए अगर तेरे पथ में कोई आंधी, अथक निर्भय चलता रह रे मांझी । 

तम को चीर उजाले की ओर बढ़, अपने पैरों को तू सफलता की ओर गढ़, 
 हो भी अगर राह में कोई चट्टान, अथक निर्भय चलता रह रे चाहे हो सड़क या श्मशान। 

ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर, आ जाए गर मुकाम तेरा फिर भी न आराम कर,
चलता ही रह तूफानों की तरह इस जगके लिए तो कोई अच्छा काम कर। 
ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर….. 

होगा तेरा भी इक दिन सवेरा तब तक न कर तू राही कहीं बसेरा,
ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर अथक निर्भय चलता रह न कहीं आराम कर !

निरंतर संघर्षों से तू सीखता चल, आएगा तेरा भी दिन वो पल, 
रे पथिक तू उस पल का तो इंतजार कर !

ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर……

©Thakur Vivek Krishna ए मंजिल के राही....
ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर,
 आ जाए गर मुकाम तेरा फिर भी न आराम कर !

चलता ही रह तूफानों की तरह, इस जग के लिए तो कोई अच्छा काम कर, 
आ भी जाए अगर तेरे पथ में कोई आंधी, अथक निर्भय चलता रह रे मांझी । 

तम को चीर उजाले की ओर बढ़, अपने पैरों को तू सफलता की ओर गढ़, 
 हो भी अगर राह में कोई चट्टान, अथक निर्भय चलता रह रे चाहे हो सड़क या श्मशान। 

ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर, आ जाए गर मुकाम तेरा फिर भी न आराम कर,
चलता ही रह तूफानों की तरह इस जगके लिए तो कोई अच्छा काम कर। 
ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर….. 

होगा तेरा भी इक दिन सवेरा तब तक न कर तू राही कहीं बसेरा,
ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर अथक निर्भय चलता रह न कहीं आराम कर !

निरंतर संघर्षों से तू सीखता चल, आएगा तेरा भी दिन वो पल, 
रे पथिक तू उस पल का तो इंतजार कर !

ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर……

©Thakur Vivek Krishna ए मंजिल के राही....