सफ़ऱ में मुनासिब सुकूँ कभी होता है क्या ? ज़िंदगी का हो या जिंदगानी का ! चार क़दम चल कर थक जाते है हमराही जब जिंदादिली से कुछ होता है क्या ? सुब्ह की मुलाकात भी ग़नीमत है तमाम उम्र हर कोई साथ चलता है क्या ? जो ज़िस्म और ख़्वाहिश की ख़ातिर जी रहे वाइज इन वाइजों से बुरा कोई होता है क्या ? चहल कदमी कभी "पाठक" न करना चार क़दमों की सफ़ऱ मंज़िल का तय करना है जिसे वह थककर सोता है क्या ? Challenge-132 #collabwithकोराकाग़ज़ शब्दों के साथ चार क़दम चलिए और जो मन में आए लिखिए, कोई शब्द सीमा नहीं है :) #चारक़दम #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️