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एक तरफ़ तो अकबर का विजय रथ न रुक रहा था, और इधर म


एक तरफ़ तो अकबर का विजय रथ न रुक रहा था,
और इधर मेवाड़ भी कण भर भी न झुक रहा था।
इतना बड़ा साम्राज्य, पर अकबर को चैन न पड़ता था,
एक छोटा सा राज्य मेवाड़ उसकी आँखों में गड़ता था।
पश्चिम के व्यापार की राह वहीं से होकर गुजरती थी,
इसलिए अकबर को यह बात बहुत तंग करती थी।
साम, दाम, दंड और भेद; सबका उसने सहारा लिया,
महाराणा को आत्मसमर्पण का उसने इशारा किया।
पर प्रताप ने उसके, सारे ही प्रस्ताव नकार दिए,
और हल्दीघाटी में राणा ने ख़ूब अनोखे वार किए।
एक वार में ही बहलोल को आधा-आधा काटा था,
और न जाने कितनों को ही दो‌ भागों में बाँटा था।
जीवन का बलिदान दिया, चेतक भी बड़ा निराला था,
उनका हाथी रामप्रसाद भी कभी न झुकने वाला था।
सेना कम थी पर प्रताप ने अपना वक्त बीतने न दिया,
सबने दिखाया शौर्य, अकबर को जीतने न‌ दिया।
सब दु:ख काटे पर अपना स्वाभिमान न‌ खोता था,
वह वीर जंगल में घास की रोटी खाकर सोता था।
भामाशाह ने भी अपना सर्वस्व भूप को दान दिया,
एक‌ सेवक ने स्वामी के दिए नमक का मान किया।
अफ़गानों से की दोस्ती, भीलों की सेना तैयार की,
महाराणा ने बादशाह को चुनौती लगातार दी।
पर एक दिन शिकार करते वह शेर घायल हो गया,
हाय! प्रताप आँखें मूंदकर सदा‌ के लिए सो गया।
जिस दिन महाराणा दूर गए, देश ने‌ एक रत्न खोया था,
यह बात जानकर अकबर भी फूट-फूट कर रोया था।। महाराणा प्रताप #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqmuzaffarpur #yqgudiya #yqmaharanapratap

एक तरफ़ तो अकबर का विजय रथ न रुक रहा था,
और इधर मेवाड़ भी कण भर भी न झुक रहा था।
इतना बड़ा साम्राज्य, पर अकबर को चैन न पड़ता था,
एक छोटा सा राज्य मेवाड़ उसकी आँखों में गड़ता था।
पश्चिम के व्यापार की राह वहीं से होकर गुजरती थी,
इसलिए अकबर को यह बात बहुत तंग करती थी।
साम, दाम, दंड और भेद; सबका उसने सहारा लिया,
महाराणा को आत्मसमर्पण का उसने इशारा किया।
पर प्रताप ने उसके, सारे ही प्रस्ताव नकार दिए,
और हल्दीघाटी में राणा ने ख़ूब अनोखे वार किए।
एक वार में ही बहलोल को आधा-आधा काटा था,
और न जाने कितनों को ही दो‌ भागों में बाँटा था।
जीवन का बलिदान दिया, चेतक भी बड़ा निराला था,
उनका हाथी रामप्रसाद भी कभी न झुकने वाला था।
सेना कम थी पर प्रताप ने अपना वक्त बीतने न दिया,
सबने दिखाया शौर्य, अकबर को जीतने न‌ दिया।
सब दु:ख काटे पर अपना स्वाभिमान न‌ खोता था,
वह वीर जंगल में घास की रोटी खाकर सोता था।
भामाशाह ने भी अपना सर्वस्व भूप को दान दिया,
एक‌ सेवक ने स्वामी के दिए नमक का मान किया।
अफ़गानों से की दोस्ती, भीलों की सेना तैयार की,
महाराणा ने बादशाह को चुनौती लगातार दी।
पर एक दिन शिकार करते वह शेर घायल हो गया,
हाय! प्रताप आँखें मूंदकर सदा‌ के लिए सो गया।
जिस दिन महाराणा दूर गए, देश ने‌ एक रत्न खोया था,
यह बात जानकर अकबर भी फूट-फूट कर रोया था।। महाराणा प्रताप #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqmuzaffarpur #yqgudiya #yqmaharanapratap