तेरे तसव्वुर में हाल...⊙ उसे मोर पसंद हैं... और मुझे #मोरपंख... उसे #बाँसुरी पसंद है... और मुझे #सावन ॥ उसे मेरी #कविताएँ भाएँ... मुझे बस उसकी अदाएँ... उसे मेरा होने से डर है... मेरा तो वही इक घर है... उसको जितनी चाहत है अपनों से... उतनी ही चाहत है मुझे मेरे सपनों से... कौन कहता है प्रेम में सम्मानता हो... कौन कहता है #प्रेम को प्रेमी जानता हो... कौन कहता है प्रेम में केवल निकटताएँ हों... कौन कहता है प्रेम में केवल संवेदनाएँ हों... मुझे तुम पसंद हो वहीं तुम्हें संसार... मुझे ये प्रेम पसंद हैं तुम्हें बहिष्कार... प्रेम सम्मान स्वरूप हो प्रेम नहीं... प्रेम उसके #अनुरूप हो वो प्रेम नहीं... प्रेम वो है जो तुम न चाहते हुए भी... कभी-कभी मुझे सोचते हो... प्रेम वो है जो तुम ना चाहते हुए भी... प्रतिदिन मुझे पढ़ते हो... तुम्हारे ना कहने से ना ही तो प्रेम लुप्त होगा... और ना ही मेरे कहने से ये... अधिकतम के छोर को छुऐगा... प्रेम में #विवशता नहीं... आत्मसमर्पण महत्व रखता है... प्रेम में केवल मेरा मन नहीं... अंतर्मन महत्व रखता है ॥ वो जब भी प्रेम को सोचती है... तो महकने लगती है... और मैं उसे सोचकर... खिलखिला #उठता_हूँ ॥ #मोर # ©B.L Parihar #प्रेम #“प्रेम” #Prem