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स्वर्ण नामा नौकरी से, ऑफ़िस से और ऊंचे पद से भी ग

स्वर्ण नामा

नौकरी से, ऑफ़िस से और ऊंचे पद से भी गए,
मियां भाई की नफ़रत में शर्मा जी संसद से भी गए.
हमारी चूड़ी टाइट करते करते आप की लंगोट ढीली हो गई,
जमुना का कुछ ना हुआ लेकिन आपकी गंगा मैली हो गई.
फटी गंजी, टूटी  छप्पर, फिर भी महाराज आप सबसे ऊंचे,
शर्मा जी को राशन मिला के नहीं यह तो कोई भी ना पूछे.
दूसरे तो फल, अनाज, तरकारी, सब कुछ बेच लेंगे,
आप बताइए आप भी चाय वाले जितनी फेंक लेंगे?
आईएएस और डॉक्टर का ख़्वाब बच्चों को ज़रूर दिखाइए,
जेनरल होकर कुछ उखाड़ लें तो दानिश को भी बताइए.

©Danish Azam #Hindi #Pandey #Sharma #

#Luminance
स्वर्ण नामा

नौकरी से, ऑफ़िस से और ऊंचे पद से भी गए,
मियां भाई की नफ़रत में शर्मा जी संसद से भी गए.
हमारी चूड़ी टाइट करते करते आप की लंगोट ढीली हो गई,
जमुना का कुछ ना हुआ लेकिन आपकी गंगा मैली हो गई.
फटी गंजी, टूटी  छप्पर, फिर भी महाराज आप सबसे ऊंचे,
शर्मा जी को राशन मिला के नहीं यह तो कोई भी ना पूछे.
दूसरे तो फल, अनाज, तरकारी, सब कुछ बेच लेंगे,
आप बताइए आप भी चाय वाले जितनी फेंक लेंगे?
आईएएस और डॉक्टर का ख़्वाब बच्चों को ज़रूर दिखाइए,
जेनरल होकर कुछ उखाड़ लें तो दानिश को भी बताइए.

©Danish Azam #Hindi #Pandey #Sharma #

#Luminance
danishazam3879

Danish Azam

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