रीत बदल गयी, नीत बदल गयी देख पंकज ... इंसान की इंसान से प्रीत बदल गयी... बाप की खाट बदल गयी... मां की वो आंचल वाली साल बदल गयी... भाई बहन का प्यार बदल गया। रीत बदल गयी, नीत बदल गयी देख पंकज ... वो नीम की छांव, एसी कूलर में बदल गयी... रिश्तेदारो की चाय अब कोल्ड ड्रिंक में बदल गई... चिट्ठियों का संदेश, ई-मेल में बदल गया... पकड़-पकड़ाई, छिप-छिपाई का खेल, पब्जी, कैंडी-क्रश में बदल गया। रीत बदल गयी, नीत बदल गयी देख पंकज ... माटी के मांडने वाले घर, कांच के मकान में बदल गए... मटकी की खांड छाछ, पिज्जा बर्गर में बदल गई... घुड़ की भेली, क्रीम रोल हो गई। रीत बदल गयी, नीत बदल गयी देख पंकज ... बुजुर्गों की बीड़ी, नौजवानों की अफ़ीम चरस हो गई... गांव के चौक में चरी गोमाता, चरागाह में भी भूखी सो गई... संध्या को लोटती ढोर भी खो गई... देख पंकज ... रीत बदल गयी, नीत बदल गयी... इंसान की इंसान से प्रीत बदल गयी। ©sampankaj 64 #NightRoad रीत बदल गई नीत बदल गई....