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*सांझ* कई बार जाने क्यूं ऐसा भी होता है? मंजिल

*सांझ*

कई बार जाने क्यूं 

ऐसा भी होता है?

मंजिलों को पाकर 

लौटना जरूरी होता है.

©SUNIL KUMAR VERMA
  सांझ

सांझ #कविता

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