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तुम्हारी बाँहों में आकर, कितना सुकूँ मिलता है। गर

तुम्हारी बाँहों में आकर, कितना सुकूँ मिलता है।
गर इनमें मैं कभी सो जाऊँ तो, मुझे जगाना मत।

तुम्हारी बाँहों में आकर, खुद को महफूज़ पाता हूँ।
गर इनमें कहीं खो जाऊँ तो, मुझे सताना मत।

तुम्हारी बाँहों में आकर, मैं हर ग़म भूल जाता हूँ।
बस इनकी पनाहों में रहने देना, मुझे रुलाना मत।

तुम्हारी बाँहों में आकर, मैं अक्सर सँभल जाता हूँ।
खुद में समा लेना पर कभी, मुझे बहकाना मत।

तुम्हारी बाँहों में आकर, अपने सपने सजाता हूँ।
अपने सीने से लगा लेना पर, मुझे भुलाना मत।— % & ♥️ Challenge-842 #collabwithकोराकाग़ज़

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तुम्हारी बाँहों में आकर, कितना सुकूँ मिलता है।
गर इनमें मैं कभी सो जाऊँ तो, मुझे जगाना मत।

तुम्हारी बाँहों में आकर, खुद को महफूज़ पाता हूँ।
गर इनमें कहीं खो जाऊँ तो, मुझे सताना मत।

तुम्हारी बाँहों में आकर, मैं हर ग़म भूल जाता हूँ।
बस इनकी पनाहों में रहने देना, मुझे रुलाना मत।

तुम्हारी बाँहों में आकर, मैं अक्सर सँभल जाता हूँ।
खुद में समा लेना पर कभी, मुझे बहकाना मत।

तुम्हारी बाँहों में आकर, अपने सपने सजाता हूँ।
अपने सीने से लगा लेना पर, मुझे भुलाना मत।— % & ♥️ Challenge-842 #collabwithकोराकाग़ज़

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