माना ज़िन्दगी की लहरों के आगे मेरे पग लहरायेंगे यदि ये व्याकरणिक है तो इसके अर्थ यहीं से आएंगे हम बदलेंगे खुद को शायद ऐसा तो मुमकिन ही नहीं हम तो उन्मादी हैं अक्सर उन्माद में ही जीते जाएंगे #उन्माद