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कैसी ये जिंदगी है किस मोड़ पर आ खड़ी है ना कश्ती

कैसी ये जिंदगी है किस मोड़ पर आ खड़ी है 
ना कश्ती है न किनारा है 
फिर भी मझधार ने मुझको चुना है 
ये जिन्दगी...
कई गिले शिकवे है ना जाने कितने रूठे से है 
फिर भी तुझको देते है दुहाई 
ये जिंदगी तू अब ना कर बेफाई...
और कितना है लंबा मेरा सफ़र 
थक गई हूं अब थोड़ा तो सुकून  नसीब करा दे 
ये जिंदगी...
मोहताज़ हूं मैं तेरी थोड़ा तो खुसी से गले लगा ले।

©Hymn
  #emosions #turefeelings #life #peotry
richabajpayi3174

Hymn

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