Think before you say or act but never overthink As अति सर्वत्र वर्जयेत् अर्थात:- अति कभी भी अच्छी नहीं होती फिर वह किसी भी कारण से हो। अति रूपेण वै सीता चातिगर्वेण रावणः। अतिदानाद् बलिर्बद्धो ह्यति सर्वत्र वर्जयेत्।। अत्यधिक सुन्दरता के कारण सीता हरण हुआ। अत्यंत घमंड के कारण रावण का अंत हुआ। अत्यधिक दान देने के कारण रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा। अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए।. अति भली न बरसना अति भली न धूप। अति भली न बोलना अति भली न चुप॥