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देखा जो पीछे मुड़ कि कहाँ आ गए हम वक़्त के थपेड़ों को

देखा जो पीछे मुड़ कि कहाँ आ गए हम
वक़्त के थपेड़ों को सहते-सहते गिरते पड़ते

कहना है बहुत कुछ मगर सोचकर फिर
ख़ामोश रह जाते हैं कुछ कहते कहते

जानते हैं ज़माने का दस्तूर हम अच्छे से
वो जानता है उड़ाना मज़ाक हँसते हँसते

जूझने का जज़्बा मिला अपनों की रंगत
देख कर कि ज़रूरत पर कैसे रंग बदलते

अब हर उस बात से बेपरवाह रहना सीखा
कि हमसे लोग क्यूँ दिल ही दिल में जलते ♥️ Challenge-656 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 

♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
देखा जो पीछे मुड़ कि कहाँ आ गए हम
वक़्त के थपेड़ों को सहते-सहते गिरते पड़ते

कहना है बहुत कुछ मगर सोचकर फिर
ख़ामोश रह जाते हैं कुछ कहते कहते

जानते हैं ज़माने का दस्तूर हम अच्छे से
वो जानता है उड़ाना मज़ाक हँसते हँसते

जूझने का जज़्बा मिला अपनों की रंगत
देख कर कि ज़रूरत पर कैसे रंग बदलते

अब हर उस बात से बेपरवाह रहना सीखा
कि हमसे लोग क्यूँ दिल ही दिल में जलते ♥️ Challenge-656 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator