तू हुस्न का दारिया है तू हुस्न का दारिया है, तू हुस्न की है दास्तां। लिखकर करूँ, कहकर करूँ, मैं कैसे करूँ, तेरी तारिफे बयां... तू हुस्न का दरिया है.......... तुम बारिश हो या हो घटा, तुम मौसम हो या हो हवा। इतना बता दो न हमें तुम ज़रा, तुम जन्नत हो या फिर दुआ। नहीं देखा कभी इतनी मासूम अदा, नहीं देखा हमने ऐसा अन्दाज़ नया। लिखकर करूँ, कहकर करूँ, मैं कैसे करूँ, तेरी तारीफें बयां..... तुम ख्वाइश हो या हो नशा। तुम खुशरंग आलम हो, या हो समा। इतना बता दो न हमें तुम ज़रा, तुम हसीन लम्हें हो या फिर फिजा। तुम्हें फुर्सत से बनाया है मेरा खुदा, तुम्हे हर खूबी अता है किया। लिखकर करूँ, कहकर करूँ, मैं कैसे करूँ, तेरी तारिफे बयां। ©Aarzoo smriti तू हुस्न का.....