चाहत का मुकदर एक दिन पा तो लूँगा, दुरी भले हो तुझ से अपना बना ही लूँगा । अक्सर तेरी यादें मुझे खलने लगी है, पाकर तेरा साथ जाने ये आँखे भरने लगी है। मोहब्बत से यु तो रिश्ता गेहरा नहीं रहा लूटते रहे अपनों के हाथो पर मालाल नहीं रहा। प्यार,मोहब्बत,इश्क की बाते अब जाने क्यों माजक लगती है , खाया है जब से धोखा,मीठी बातें करने वाली हर कोई मतलबी लगती है । चाहत का #मुकदर एक दिन पा तो लूँगा, #दुरी भले हो तुझ से #अपना बना ही लूँगा । #अक्सर तेरी #यादें मुझे खलने लगी है, पाकर तेरा साथ #जाने ये #आँखे भरने लगी है। #मोहब्बत से यु तो #रिश्ता गेहरा नहीं रहा #लूटते रहे अपनों के #हाथो पर #मालाल नहीं रहा।