उस क़िताब में दबे , गुलाब की तरह । क्यूं जज़्बात नहीं दबते , बोलों न ? उस गुलाब-ए-इज़हार को , उस इक लम्हें को , कैसे ज़िंदा रख लेते हैं ? खुशबू के साथ - साथ , सुर्खियां कम जाती हैं । पर कैसे वो वक्त , जेहेन में कैद हो जातें हैं । ©Anuradha Sharma #rose #meaning #thoughts #special #love #feelings #urdu #yqquotes #Nojoto