सिलसिला आज भी वही है ,जो बार-बार मेरी यादों में नज़र आता है। मैं सोच के भी नहीं सोच पाता कि.. क्या सोचते हुए अक़्सर वक़्त गुज़र जाता है। ©Anuj Ray #अक़्सर