बेटा समझ गया। खेलता था, जिस घर के आंगन में, कितना प्यार था, उस घर के दामन में, पापा का प्यार और मां का दुलार, कितना प्यारा था वह घर। पापा की वो मेहनत जब आज याद आती है, मां की वो मेहनत जब आज याद आती है, सोचते ही उन बातों को, आंखें नम पड़ जाती हैं। पापा की वो मुस्कुराहट जब आज समझ आती है, मां का समझाना जब आज समझ आता है, सोचते ही सब बातों को, उन ज़िम्मेदारी यों का मतलब समझ आता है, जीवन चलता है और चलता रहेगा, सच्ची श्रद्धा से कर पापा का सम्मान और मां की इज्जत, इन आच्छे सत्कर्मों से, जीवन का अनमोल मूलधन तुझे मिल जाएगा। ©Ritesh Pandey बेटा समझ गया। #बेटा