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हौसलों के कंधे झुके हुए थे चलते चलते मेरे कदम रुके

हौसलों के कंधे झुके हुए थे चलते चलते मेरे कदम रुके हुए थे
जब तुमने मुझे पा पाकर छोड़ा तब से मेरे अरमान टूटे हुए थे,
जिंदगी जीने का बोझ उतना भारी ना था जितना तुम्हारे यादों का उठा रहा हूं
होंठों पर झूठी मुस्कान लिए अपने दर्द छुपा रहा हूं
बिखरे हुए टुकड़ों को जोड़ कर जिंदा किया है अरमानों को
बीना शिकायत खोमोशी से हर रिश्तों को निभा रहा हूं
हौसलों के कंधे झुके हुए थे नई हिम्मत से आगे बढ़ता जा रहा हूं।।

©Dishu Prashar
  हिम्मत से बढ़ते रहें।। #hausle

हिम्मत से बढ़ते रहें।। #hausle

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