कभी हाथ फेरते सर पर, कभी पंखा बंद कराते हैं मुझे जब बुखार होता है, तो पापा सो नहीं पाते है। वक़्त बेवक़्त हमारी बातों में खोकर निकलते हैं, वो मेरे हर अक्षर पर बार बार होकर निकलते हैं। मुझे समझाया, कभी डांटा या बस आँख दिखा दी, सुबह जल्दी उठाने के लिए कभी आवाज लगा दी। शाम की सुध नहीं, सुबह की खबर नहीं रहती, घर की जिम्मेदारी में, खुद की फ़िक्र नहीं रहती। चाहे अजब हों हालात मगर वो सिर्फ मुस्कुराते हैं, मेरी बेहतर नींद की ख़ोज में पापा सो नहीं पाते हैं। किनारे बैठ कर यूँ ही वो अक्सर सोचते रहते, कहीं भविष्य की दुनिया में, हैं वो रोज से रहते। माँ को देते हैं चाबी, घर को खुश बनाने की, वो ढूँढा करते हैं योजना, मुझे कुछ बनाने की। शिला-पाषाण हिलाने का जज्बा इंसान में कैसे...? कभी दिखाया ही नहीं, वो करते आराम हैं कैसे..? छुप कर के यूँ किसी सोच का वो जाल बनाते हैं, मेरे जीवन की उधेड़ बुन में पापा सो नहीं पाते हैं। - शितांशु रजत "पापा सो नहीं पाते हैं......... " #the_truth.... शायद ही इससे बेहतर कुछ लिखा हो या लिख सकूँ..... सच....... "मुझे बुखार होता है, तो पापा सो नहीं पाते हैं......." कोई और पढ़े न पढ़े, वो बार-बार पढ़ते हैं मेरा लिखा....,, जाने कितनी बार.... ?? #the_best #writing......... #पापा #पिता #father #18june2k17 #dad #the_inspiration #hero #yqbaba #YQdidi #YQPoetry #yqhindi #Yopowrimo #papa...... #happy_fathers_day......... 😊🎂