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# हिंदी साहित्य# हिंदी कविता आज का

# हिंदी साहित्य# हिंदी कविता
                आज का ज्ञान आज का मंच। जय🙏🙏
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क्या योग्यता क्या इक्षाशक्ति और महत्व आकांछा क्या है। 
किसी सफल मंच के आगे निर्धन निरीह साँचा क्या है।। 
कैसी शिक्षा कैसा शिक्षित कैसा ज्ञानी विद्वान है वो। 
जो छोटे छोटा कर दे वो ज्ञान नहीँ अभिमान है वो।। 
हर सफल चापलूसी चाहे धन वैभव का समान करे। 
निर्धन निरीह योग्यता के संग बस छल कपट औरअभिमान करे। 
जो झुक जाए शालीन रहे हर शक्ति उसको छलती है।। 
धन के आगे अयोग्यता भी गंगाजल बन कर बहती है।। 
ज्ञान शील एकता भी केवल कहने भर दिखती है। 
 समृद्धिऔर सफलता के संमुख न कहीं  कभी भी टिकती है।। 
हम जिसको इक्षा शक्ति कहते कब कौन पूछता है उसको। 
श्रीमान सफलता के आगे इक्षा शक्ति भी बिकती है।। 
मुझको आती है हसी बहुत उनको उपदेशक देखूं तो। 
धनवान है जो पर योग्य नहीं और चोरी करते रहते है। 
अज्ञानी विद्वान बने और ज्ञान मांगता भीख मिले। 
करते उपहास योग्यता से महुँ जोरी करते रहते हैं।। 
सच कहा किसी ने बुरा लगा उसको असभ्य कह देते हैं। 
सभ्यता धरी रह जाती है जब संग असभ्य को लेते हैं।। 
अपना सम्मान तो चाहेंगे पर औरों का सम्मान नहीं। 
सब सम्मान चाहते हैं इस इनको संज्ञान नही।। 
संकुचित हृदय हो जाता है जिसको भी सफलता मिल जाए। 
मैं तो असफल ही अच्छा हूँ ना करूँ सहूँ अपमान कहीं।। 
               आशुतोष अमन🙏🙏🙏🙏🙏

©Aashutosh Aman.
  # हिंदी साहित्य# हिंदी कविता
                आज का ज्ञान आज का मंच। जय🙏🙏
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