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प्रार्थना गणपति बप्पा मोरया है दिव्य दृष्टि सुख

प्रार्थना 
गणपति बप्पा मोरया 

है दिव्य दृष्टि सुखकर्ता की पर विघ्न मेरा दिखता ही नहीं,,,
अंधियार तो मिट  जाता है पर उजियारा टिकता ही नहीं!!!

सपनों की  लालच में आकर अब नींद गंवाये हैं मैंने!!! 
तकदीर मेरे बदलो हे प्रभु कुछ ख्वाब सजाये हैं मैंने!!!
है  आश  नहीं  टूटी  मेंरी  जो  याद  तुम्हें मैं करता हूँ,,,
तेरे  मंदिर  की  चौखट  पे कुछ  दीप जलाये हैं मैंने!!!

इस जग में हैं नेक दृष्टि तो बहुत मगर कोई 
कृपादृष्टि करता ही नहीं!!!
खुशियों का दिन तो भर जाता है पर रातों 
का दुख कटता ही नहीं!!!

वो ऐंठे हैं दौलत मेरी मुझसे और हम छुपायें छुपाये बैठे हैं,,,
कुछ   हंसकर   बातें   करते   हैं   पर  घात लगाये बैठे हैं!!!
जीवन का मर्म नहीं समझा पर दुनिया को अपना ही लिया,,,
है  उनसे  मुझको  अब  डर  लगता जो बात बनाये बैठे हैं!!!

खुशियों की वर्षा होती है पर गम का बादल छटता ही नहीं,,,
दुःख का सागर भर जाता है सुख का गागर भरता ही नहीं!!!
हैं दिव्य दृष्टि  सुखकर्ता की पर विघ्न मेरा दिखता ही नहीं,,,
अंधियार तो  मिट जाता है पर उजियारा टिकता ही नहीं!!!
                                              स्वरचित 
                                           🖋🖋🖋नवरत्न मिश्रा🖋🖋🖋

©Navratna Mishra #ganesha है दिव्य दृष्टि सुखकर्ता की पर विघ्न मेरा दिखता ही नहीं,,,
अंधियार तो मिट  जाता है पर उजियारा टिकता ही नहीं!!!

सपनों की  लालच में आकर अब नींद गंवाये हैं मैंने!!! 
तकदीर मेरे बदलो हे प्रभु कुछ ख्वाब सजाये हैं मैंने!!!
है  आश  नहीं  टूटी  मेंरी  जो  याद  तुम्हें मैं करता हूँ,,,
तेरे  मंदिर  की  चौखट  पे कुछ  दीप जलाये हैं मैंने!!!
प्रार्थना 
गणपति बप्पा मोरया 

है दिव्य दृष्टि सुखकर्ता की पर विघ्न मेरा दिखता ही नहीं,,,
अंधियार तो मिट  जाता है पर उजियारा टिकता ही नहीं!!!

सपनों की  लालच में आकर अब नींद गंवाये हैं मैंने!!! 
तकदीर मेरे बदलो हे प्रभु कुछ ख्वाब सजाये हैं मैंने!!!
है  आश  नहीं  टूटी  मेंरी  जो  याद  तुम्हें मैं करता हूँ,,,
तेरे  मंदिर  की  चौखट  पे कुछ  दीप जलाये हैं मैंने!!!

इस जग में हैं नेक दृष्टि तो बहुत मगर कोई 
कृपादृष्टि करता ही नहीं!!!
खुशियों का दिन तो भर जाता है पर रातों 
का दुख कटता ही नहीं!!!

वो ऐंठे हैं दौलत मेरी मुझसे और हम छुपायें छुपाये बैठे हैं,,,
कुछ   हंसकर   बातें   करते   हैं   पर  घात लगाये बैठे हैं!!!
जीवन का मर्म नहीं समझा पर दुनिया को अपना ही लिया,,,
है  उनसे  मुझको  अब  डर  लगता जो बात बनाये बैठे हैं!!!

खुशियों की वर्षा होती है पर गम का बादल छटता ही नहीं,,,
दुःख का सागर भर जाता है सुख का गागर भरता ही नहीं!!!
हैं दिव्य दृष्टि  सुखकर्ता की पर विघ्न मेरा दिखता ही नहीं,,,
अंधियार तो  मिट जाता है पर उजियारा टिकता ही नहीं!!!
                                              स्वरचित 
                                           🖋🖋🖋नवरत्न मिश्रा🖋🖋🖋

©Navratna Mishra #ganesha है दिव्य दृष्टि सुखकर्ता की पर विघ्न मेरा दिखता ही नहीं,,,
अंधियार तो मिट  जाता है पर उजियारा टिकता ही नहीं!!!

सपनों की  लालच में आकर अब नींद गंवाये हैं मैंने!!! 
तकदीर मेरे बदलो हे प्रभु कुछ ख्वाब सजाये हैं मैंने!!!
है  आश  नहीं  टूटी  मेंरी  जो  याद  तुम्हें मैं करता हूँ,,,
तेरे  मंदिर  की  चौखट  पे कुछ  दीप जलाये हैं मैंने!!!