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सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं, हां म

सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं,
हां मैं आज खुल के कहती हूं, तुझी से प्यार करती हूं।

एक सुकून सा है तेरे कांधे पर, चाहूं जिदंगी वहीं गुज़ार दूं,
तू साथ रहे ताउम्र मेरे, यही तमन्ना बार बार करती हूं।

तुझ से रूठने का हक है मेरा, मुझ को मनाना फ़र्ज़ है तेरा,
तेरी छोटी छोटी कोशिशों पर, जान निसार करती हूं।

तेरे साथ सबकुछ अच्छा लगे, हर झूठ भी मुझे सच्चा लगे,
मेरी जान तुझ में बसती है, अब मैं ये इज़हार करती हूं।

दुनिया छूटे या रब मेरा अब रूठे, किसी का कोई डर नहीं,
ये महिमा तेरी थी, है और रहेगी, ये मैं करार करती हूं।। •| ग़ज़ल |•

सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं,
हां मैं आज खुल के कहती हूं, तुझी से प्यार करती हूं।

एक सुकून सा है तेरे कांधे पर, चाहूं जिदंगी वहीं गुज़ार दूं,
तू साथ रहे ताउम्र मेरे, यही तमन्ना बार बार करती हूं।
सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं,
हां मैं आज खुल के कहती हूं, तुझी से प्यार करती हूं।

एक सुकून सा है तेरे कांधे पर, चाहूं जिदंगी वहीं गुज़ार दूं,
तू साथ रहे ताउम्र मेरे, यही तमन्ना बार बार करती हूं।

तुझ से रूठने का हक है मेरा, मुझ को मनाना फ़र्ज़ है तेरा,
तेरी छोटी छोटी कोशिशों पर, जान निसार करती हूं।

तेरे साथ सबकुछ अच्छा लगे, हर झूठ भी मुझे सच्चा लगे,
मेरी जान तुझ में बसती है, अब मैं ये इज़हार करती हूं।

दुनिया छूटे या रब मेरा अब रूठे, किसी का कोई डर नहीं,
ये महिमा तेरी थी, है और रहेगी, ये मैं करार करती हूं।। •| ग़ज़ल |•

सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं,
हां मैं आज खुल के कहती हूं, तुझी से प्यार करती हूं।

एक सुकून सा है तेरे कांधे पर, चाहूं जिदंगी वहीं गुज़ार दूं,
तू साथ रहे ताउम्र मेरे, यही तमन्ना बार बार करती हूं।
mahimajain6772

Mahima Jain

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