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यूनिवर्सल फैक्ट है कि दोस्ती के मामले में लड़के ल

 यूनिवर्सल फैक्ट है कि दोस्ती के मामले में लड़के लड़कियों से ज्यादा बेहतर होते हैं...
ज्यादातर लड़कियों में जलन की भावना आ ही जाती है दोस्ती में...पर लड़कों में ये जलने वाला इमोशन कम ही दिखता है।
लड़कियां अपने एक्स को कभी मुड़कर भी नहीं देखना चाहती पर लड़कों का दिल इतना बड़ा होता है कि पूरी जिंदगी एक्स की मदद करने को तैयार रहते हैं..
एक्स के साथ भी ये उतने ही स्वीट होते हैं जितने अपने दोस्तों के साथ में।
 प्रेमिका या पत्नी को परेशानी में देखकर... क्या हुआ ?हमेशा पूछते हैं ,वो बात और है आपके "कुछ नहीं" को कुछ नहीं ही समझकर अपराध कर देते हैं बेचारे— % & ये समाज तो पुरुष प्रधान है पर पुरुषों को स्वादिष्ट भर पेट खाना और थोड़ा सा प्यार,सम्मान मिल जाए इसके आगे उन्हें कुछ नहीं चाहिए...नियम,कानून,घूंघट,समाज के हिसाब से चलने की हिदायतें ज्यादातर सिर्फ औरतें ही देती हुई नज़र आती हैं..पुरुषों को इन सबसे लेना देना नहीं होता...कुछ एक अपवाद भी होते हैं खैर। औरतें अपने बच्चों से, बहिन से, भाई से, यहां तक कि पड़ोसन से भी मदद मांग लेती हैं पर पति खुद से मदद के लिए नहीं पूछता ये सबसे बड़ा गुनाह बन जाता है पुरुषों का....।समाज में एक मैरिज मटेरियल बनने का प्रेशर इनपर भी होता है... नौकरी,पैसा लड़कियों की चॉइस हो सकती है पर लड़कों के लिए जरूरत ही है।
ब्याह के बाद बेचारे बीवी की सुनें,उसका ख्याल रखें तो रिश्तेदार,दोस्त,समाज जोरू का गुलाम बोलेंगे ..ना रखें तो मतलबी,हार्टलेस सुनना पड़ेगा। लड़की की मदद के लिए लड़का खुद से आकर हाथ बढ़ाए तो चेप है ,ना हाथ बढ़ाए तो जेंटलमैन नहीं है फिर। जिन छोटी छोटी बातों का हम लड़कियां बवाल मचा दे उन बातों पर इनका खुद से ध्यान तक नहीं जाता। लड़कों का अपराध ये है कि ये बिना कहे बात ही नहीं समझते बेचारे।लड़कियां ज्यादा भावुक होती हैं पर इसका मतलब ये नहीं कि पुरुषों में भावना नहीं होती बस वो अपनी भावनाएं जल्दी जता नहीं पाते। लड़कियां अलग तरह से सोचती हैं..लड़के अलग तरह से सोचते हैं पर इसका ये कतई मतलब नहीं कि हमेशा लड़की ही सही हो।पुरुष बुरे नहीं होते बस हालात के मारे होते
 यूनिवर्सल फैक्ट है कि दोस्ती के मामले में लड़के लड़कियों से ज्यादा बेहतर होते हैं...
ज्यादातर लड़कियों में जलन की भावना आ ही जाती है दोस्ती में...पर लड़कों में ये जलने वाला इमोशन कम ही दिखता है।
लड़कियां अपने एक्स को कभी मुड़कर भी नहीं देखना चाहती पर लड़कों का दिल इतना बड़ा होता है कि पूरी जिंदगी एक्स की मदद करने को तैयार रहते हैं..
एक्स के साथ भी ये उतने ही स्वीट होते हैं जितने अपने दोस्तों के साथ में।
 प्रेमिका या पत्नी को परेशानी में देखकर... क्या हुआ ?हमेशा पूछते हैं ,वो बात और है आपके "कुछ नहीं" को कुछ नहीं ही समझकर अपराध कर देते हैं बेचारे— % & ये समाज तो पुरुष प्रधान है पर पुरुषों को स्वादिष्ट भर पेट खाना और थोड़ा सा प्यार,सम्मान मिल जाए इसके आगे उन्हें कुछ नहीं चाहिए...नियम,कानून,घूंघट,समाज के हिसाब से चलने की हिदायतें ज्यादातर सिर्फ औरतें ही देती हुई नज़र आती हैं..पुरुषों को इन सबसे लेना देना नहीं होता...कुछ एक अपवाद भी होते हैं खैर। औरतें अपने बच्चों से, बहिन से, भाई से, यहां तक कि पड़ोसन से भी मदद मांग लेती हैं पर पति खुद से मदद के लिए नहीं पूछता ये सबसे बड़ा गुनाह बन जाता है पुरुषों का....।समाज में एक मैरिज मटेरियल बनने का प्रेशर इनपर भी होता है... नौकरी,पैसा लड़कियों की चॉइस हो सकती है पर लड़कों के लिए जरूरत ही है।
ब्याह के बाद बेचारे बीवी की सुनें,उसका ख्याल रखें तो रिश्तेदार,दोस्त,समाज जोरू का गुलाम बोलेंगे ..ना रखें तो मतलबी,हार्टलेस सुनना पड़ेगा। लड़की की मदद के लिए लड़का खुद से आकर हाथ बढ़ाए तो चेप है ,ना हाथ बढ़ाए तो जेंटलमैन नहीं है फिर। जिन छोटी छोटी बातों का हम लड़कियां बवाल मचा दे उन बातों पर इनका खुद से ध्यान तक नहीं जाता। लड़कों का अपराध ये है कि ये बिना कहे बात ही नहीं समझते बेचारे।लड़कियां ज्यादा भावुक होती हैं पर इसका मतलब ये नहीं कि पुरुषों में भावना नहीं होती बस वो अपनी भावनाएं जल्दी जता नहीं पाते। लड़कियां अलग तरह से सोचती हैं..लड़के अलग तरह से सोचते हैं पर इसका ये कतई मतलब नहीं कि हमेशा लड़की ही सही हो।पुरुष बुरे नहीं होते बस हालात के मारे होते