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अपनो के ही द्वारा दिये गये गम केआग में जलती रही मो

अपनो के ही द्वारा दिये गये
गम केआग में जलती रही
मोम की तरह पिघलती रही
 पिघलके आधी हो चुकी हूँ ।
अब तो कोई फर्क नहीं पड़ता
किसी के जलाने से
हम अपने गमो को
खुद हथेली पे लिये घुमते हैं।

©Rani Jaiswal #DiyaSalaai
अपनो के ही द्वारा दिये गये
गम केआग में जलती रही
मोम की तरह पिघलती रही
 पिघलके आधी हो चुकी हूँ ।
अब तो कोई फर्क नहीं पड़ता
किसी के जलाने से
हम अपने गमो को
खुद हथेली पे लिये घुमते हैं।

©Rani Jaiswal #DiyaSalaai
raazjaiswal5177

Rani Jaiswal

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