मैं मीन,तो संसार गहरी नदियाँ, तट को देखो मैं कैसे बाज़ की मुझ पर नज़र है, नित नई रचना बनाऊं पर कलम भी मेरी,'बुलबुले हैं!' इस नदी का खारा है पानी क्योंकि नदी के मध्य अश्रु की डगर है, तट पर पड़ी लाशें नाच रही और गा रही मृत्यु हीं ज़फ़र है मृत्यु ही ज़फ़र है। _mirror of words नदियाँ!!