मैं नफ़रत उनसे करूँ, काम से जिनको काम वरना आगे आके भी, न कोई दुआ, सलाम न कोई दुआ सलाम, निकल ऐसे ये जाते जैसे परिचित में हमें, वो बिल्कुल न पाते कह शर्मा कविराय, रक्खें न इनसे रिश्ता रक्खे जो उम्र भर ,चक्र में इनके पिसता ©प्रभात शर्मा कुंडली #friends