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जहां से चले थे एक दिन वहीं तो जाना है। क्या लेकर आ

जहां से चले थे एक दिन वहीं तो जाना है।
क्या लेकर आए थे क्या लेकर जाना है।।
खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाना है।
पंचत्वों से बना शरीर पंचतत्वों में मिल जाना है।।
शैली: शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर।

©Shailendra Singh Yadav
  शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी

शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी

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