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तोड़ के बंदिशें सारी दूर जाने को मन करता है, तोड़ के

तोड़ के बंदिशें सारी दूर जाने को मन करता है,
तोड़ के बेड़िया सारी भाग जाने को मन करता है।

न रहे मन पर न रहे तन पर कोई भी कभी बंदिश,
यूँ ही जिंदगी तुझे जी जाने को मन करता है।

अनजानी सी कई सारी बंदिशें हैं ख्वाबों तक में,
हर ख्वाहिश में फिर जान डालने को मन करता है।

सपने नहीं देखती हैं आंखें न जाने कितने बरसों से,
आंखों को हज़ारों सपने दिखाने का मन करता है।

कोई चाहे इस दिल को भी बेपनाह और बिना शर्त,
ऐसे महबूब को बिना शर्त चाहने को मन करता है।

जिसके सीने से लग दिल को चैन, सुकून मिल जाये,
ऐसे किसी के सीने से लिपट जाने को मन करता है। 

©सखी #बंदिशें #बेड़ियां #तोड़ना #जीना
#मन
तोड़ के बंदिशें सारी दूर जाने को मन करता है,
तोड़ के बेड़िया सारी भाग जाने को मन करता है।

न रहे मन पर न रहे तन पर कोई भी कभी बंदिश,
यूँ ही जिंदगी तुझे जी जाने को मन करता है।

अनजानी सी कई सारी बंदिशें हैं ख्वाबों तक में,
हर ख्वाहिश में फिर जान डालने को मन करता है।

सपने नहीं देखती हैं आंखें न जाने कितने बरसों से,
आंखों को हज़ारों सपने दिखाने का मन करता है।

कोई चाहे इस दिल को भी बेपनाह और बिना शर्त,
ऐसे महबूब को बिना शर्त चाहने को मन करता है।

जिसके सीने से लग दिल को चैन, सुकून मिल जाये,
ऐसे किसी के सीने से लिपट जाने को मन करता है। 

©सखी #बंदिशें #बेड़ियां #तोड़ना #जीना
#मन