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आँखो मे कुछ सपने थे, जो बुलंदियो तक जाना चाह रहे

आँखो मे कुछ सपने थे,
 जो बुलंदियो तक जाना चाह रहे थे
उनके हौंसले इतने कमजोर होंगे
पता नही था, कुछ चन्द रुपयों के खातिर
 दम तोड़ देंगे पता नही था
अब तो यैसा लगता है 
सपने भी सिर्फ पैसो से पुरे होते हैं
जहाँ मुफ्त मे सलाह बिकती थी कभी 
आज वह भी पैसे से तोले जाते हैं 

             -Writer Sandeep patel(surya)🖋 #paiso_ki_duniya
आँखो मे कुछ सपने थे,
 जो बुलंदियो तक जाना चाह रहे थे
उनके हौंसले इतने कमजोर होंगे
पता नही था, कुछ चन्द रुपयों के खातिर
 दम तोड़ देंगे पता नही था
अब तो यैसा लगता है 
सपने भी सिर्फ पैसो से पुरे होते हैं
जहाँ मुफ्त मे सलाह बिकती थी कभी 
आज वह भी पैसे से तोले जाते हैं 

             -Writer Sandeep patel(surya)🖋 #paiso_ki_duniya
suryabhai3280

Writer Surya

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