क्या नशा है तेरी आशिकी में, बिना रम के ही मदहोश बना जाती है। कभी टूटती है कभी बिखेरती है, फिर से नये आयाम में आ जाती है।। क्या नशा है तेरी आशिकी में, बिना रम के ही मदहोश बना जाती है।। Without Love we can't do anything....