थोड़ा नटखट , थोड़ा चंचल सा लगता है., थोड़ा सा नादां, थोड़ा पागल सा लगता है.. ये धरा, ये चाँद, ये सितारे, उसके गहनें हैं., ये अम्बर भी , उसके आंचल सा लगता है.. आँखे नज़्म, जुल्फ़े रदीफ़ , होंठ काफ़िया., वो मुझे, एक मुकम्मल ग़ज़ल सा लगता है.. इत्र - सा महक उठता हूं, मैं भी उसे छूकर., मेरा महबूब मुझ को , सन्दल सा लगता है.. भिगो दे जो सराबोर, मौहब्बत से रूह को., वो मौहब्बत भरे , उस बादल सा लगता है.. सिहर उठता हूं मैं, ख़्वाबों में भी पूरी तरह., जब वो आंखों से , ओझल - सा लगता है.. ये तमाम रौनकें, तेरी मौजूदगी से है बिट्टू., तुम्हारे बिना जीवन, मरुस्थल सा लगता है.. - βαℓяαм #बिट्टू