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कागज की वो कश्ती, तूफानी में हंसती होके खुद में मग

कागज की वो कश्ती, तूफानी में हंसती
होके खुद में मगन वो, लहरों पे चलती
नही कोई मंजिल पे जाने की जिद है
सफर में ही जीवन बिताने की जिद है
है जिद ऐसी मानो नही कोई अपना
इरादा है ऐसा सफर में ही खोना
अंधिया लाख राहों में आती और जाती
मां की दुआ है जो सबसे बचाती
ये साहिल मिले न मिले इस सफर में
नही खोना खुदको, इसी की फिकर में
है लहरें ही जीवन है लहरें ही मंजिल
है लहरे वीराना है लहरे ही महफिल
करेंगे सफर हम सदा इस सफर में 
लगाएंगे तन मन यहां हर समर में
चलते ही जायेंगे बस इस ललक में
नही कोई पीड़ा ना नींदे पलक में
न मंजिल है प्यारी न यारी हमारी
है चलते ही जाना, यूं फितरत हमारी

©Muntashir Soul है चलते ही जाना, यूं फितरत हमारी।

#Memories
कागज की वो कश्ती, तूफानी में हंसती
होके खुद में मगन वो, लहरों पे चलती
नही कोई मंजिल पे जाने की जिद है
सफर में ही जीवन बिताने की जिद है
है जिद ऐसी मानो नही कोई अपना
इरादा है ऐसा सफर में ही खोना
अंधिया लाख राहों में आती और जाती
मां की दुआ है जो सबसे बचाती
ये साहिल मिले न मिले इस सफर में
नही खोना खुदको, इसी की फिकर में
है लहरें ही जीवन है लहरें ही मंजिल
है लहरे वीराना है लहरे ही महफिल
करेंगे सफर हम सदा इस सफर में 
लगाएंगे तन मन यहां हर समर में
चलते ही जायेंगे बस इस ललक में
नही कोई पीड़ा ना नींदे पलक में
न मंजिल है प्यारी न यारी हमारी
है चलते ही जाना, यूं फितरत हमारी

©Muntashir Soul है चलते ही जाना, यूं फितरत हमारी।

#Memories