*आज की हवा* खुले रहे पन्ने किताबों के, सब हाल से बेहाल हुआ बरसती रही रातभर बूंदे गलियारे में, इधर अंतरद्वंद्व बारम्बार हुआ कुछ सपने जगाते रहे एक लंबे अरसे तक, उन सपनों का भी अब कहाँ व्यवहार हुआ बस खुले रहे पन्ने किताबों के रातभर… ©Himanshu Tomar #dreamz #Dreams #night #longtime #SAD